वो और होंगे जो, अपनी मुश्किलों से भागे,
अपने हौसले हैं बुलंद, उड़ान आसमाँ से आगे।
राहो में कितने ही काँटे हो, या फिर हो धूप की तपिश,
सीखा है हमने जलना, अपनी परछाँईयो से आगे।
लड़कर बनाए हैं हमने, तुफानों में अपने रास्ते ,
खड़े रहे हैं डटकर, अपने हालातो से आगे।
गर उनकी फ़ितरत है, हमें नीचा दिखाने की,
तो जिद अपनी भी हैं, बढ़ जाएगें उनसे कहीं आगे।
जलाएंगें हिम्मत के दीप, कि डर जाएगा अंधेरा,
सपनों की रोशनी होगी, हर जहाँ से आगे।
जो गिरके संभल जाए, वही है असली लशकरी,
युद्ध चाहे जैसा भी हो, रहेंगा हौसला सबसे आगे।
हर हार के आगे, इक जीत होती है खड़ी
बस इतना यक़ीं चाहिए, अरमानों से आगे।
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