मेरे साहिब मुझे ज़ोरदार नज़र आते हैं
जिधर देखूँ उन्हें, वो लगातार नज़र आते हैं
कभी ख़्वाबों, कभी दिल की हरारत में मिले,
हर जगह मेरे वही, राज़दार नज़र आते हैं।
बात कहनी हो अगर, पर होंठ हिलते भी नहीं,
फिर भी आँखों से बड़े, आशकार नज़र आते हैं।
उनकी यादों का है असर, इक उजाले की तरह,
पर मेरी तरह वो भी, बेकरार नज़र आते हैं।
मैंने चाहा था कभी, ख़ुद से जुदा हो जाऊँ,
पर मिरी राहों में वो, हर बार नज़र आते हैं
दिल की वीरान गली में, जो उजाला कर दें,
मिरी उम्मीदो के चराग़ों के, हकदार नजर आते हैं।
हर तसव्वुर में मेरे, हर अहसास की गहराई में,
हर इक अशआर में,वो दिलदार नजर आते हैं।
सोचा कि भुला दूँ उन्हें, अपने दिल से लेकिन,
आईना देखता हूँ तो, वो ही बार बार नजर आते हैं।
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