जब साथ बैठ कोई चाय पीता है,
अपने साथ वो पूरी उम्र जीता है,
कुछ किस्से, कुछ कहानियाँ,
कुछ आप बीती, कुछ पहेलियाँ,
बस इक प्याली चाय में वो
हर रंग बुनता है,
जब साथ बैठ कोई चाय पीता है।
पूछता है कोई जब चाय पियोगे,
जिंदगी के कुछ पल साथ जियोगे,
हम बाटँ लेंगे अपनी चीनी सी मीठी बातें,
कुछ चायपत्ती सी कडवी भरी यादें,
जो बच गया इस पल वो अगली,
प्याली के लिए छोड देता है,
जब साथ बैठ कोई चाय पीता है।
कोई तो बस केवल इसलिए साथ है,
कि बाटँना चाहता है वो पल
जो अनकहे से हैं अब तक,
वो दास्तां
जो अनसुनी सी है अब तलक,
बस इक छोटी सी प्याली में वो
दिल के सब राज खोल बैठता है,
जब साथ बैठ कोई चाय पीता है।
एक प्याली चाय में वो डूबो देना
चाहता है अपने गम को ,
उन किस्सों को जो वो कह न
पाया अपनो से कभी,
सभी फिक्र को इक चाय के
कप के धुयें में उड़ा देना चाहता है,
जब साथ बैठ कोई चाय पीता है।
दोस्तों !! चाय सिर्फ चाय नहीं होती
यह एक कडवा-मीठा सा
एहसास है,
यही वो इक चीज है जो
हर आमो-खास के पास है।