आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Tuesday, March 18, 2025

नारी

नारी अपने आप में, एक अभिव्यक्ति है,

जैसी भी है तू ,अपने आप में एक शक्ति है।


तेरी ममता में बहारों की दिखती है कोमल छाया,

तेरी दृढ़ता ने हर युग में, एक नया पथ दिखाया।


संघर्षों में भी तूने खुद को, क्या खूब तराशा है,

अश्रुओं से झरते मोती, हर दुख में इक आशा है।


तेरी गोद में ही सजता है , सृष्टि का हर इक रंग,

तू न हो तो ये जगत भी, हो जाता है बेढंग।


तू कभी है दुर्गा तो, कभी मीरा की है मूरत,

तू कभी करुणा तो, कभी क्रांति की है सूरत।


तेरे विचारों में छिपी है ,सृजन की अग्नि भी,

तेरे सपनों में है दिखती,जिद्द की इक उमंग भी।


तू चाहे तो पर्वत भी, तेरे आगे झुक जाए,

राहों में तेरी दुनिया का, हर इक पल रुक जाए।


तू है सरस्वती तू ही है, विद्या का अथाह सागर,

तेरी बुद्धि से ही बने, देखो रिश्तों मे एक आदर


तू लक्ष्मी है तुझसे ही है, समृद्धि की पहचान,

तेरी कृपा से महके आंगन, तू है कृपानिधान


तू प्रेम की है मूरत, तुझ में है शक्ति अपार,

तेरे बिना अधूरा है, जग का हर एक घर-परिवार।


नमन तुझे है मेरा हर क्षण, तू हर रूप में है सुंदर,

तू न हो तो वीरान हो जाए,ये धरती और समंदर।


तू केवल देह नहीं, तू आत्मा की है अल्पना,

तेरे बिना अधूरी है, इस सृष्टि की कल्पना।


No comments:

Post a Comment