आँखे
कितनी ही सारी बातें, बताती हैं यें आँखे,
कितने ही सारे राज़, छुपाती हैं यें आँखे,
जो कह न पायें आप अगर, अपने दिल की बात,
उस बात को बड़े प्यार से, बताती हैं यें आँखे,
खुद नाचती हैं सबको, नचाती हैं यें आँखें,
हाय! कितने सितम देखिये, ढाती हैं ये आँखे,
अरे पूछिये उनसे जो, करतें हैं इश्क यारों,
उनके हाले दिल को बयाँ, करती हैं यें आँखे,
हर इक के दिल का हाल, जानती हैं यें आँखे,
हर इक के गम व खुशी को, पहचानती हैं यें आँखें,
खुशी हो तो दिखाई देती है, इनमें रौनक,
गम हो तो आँसू, बरसाती हैं यें आँखें,
वक्त आने पर खामोश सी, हो जाती हैं यें आँखें,
मासूम सी लगती हैं मौत के, आगोश में यें आँखे,
पर क्या करें बोलने से, बाज़ नहीं आती ‘’अन्जान’’,
मर कर भी न जाने, क्या कह जाती हैं यें आँखें.
सुन्दर अभिव्यक्ति..
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