आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Monday, June 21, 2010

नेताजी की आरती


जय नेता जय नेता जय जय नेता,

घोटालों का भोग चढ़ें और चढें पैसा,

जय नेता जय नेता जय जय नेता,

एक मन्त्र महामंत्र लूटे और खसोट,

जनता का धन लूटे उनका खून चूसे,

इतने पर भी देखो इनका पेट नहीं भरता,

जय नेता जय नेता जय जय नेता,

दिखने में लगते भोले अंदर से काले,

कितने ही घोटाले देखो चढ़ें इनके हवाले,

फिर भी कहते हैं अपने को, गाँधीजी का बेटा,

जय नेता जय नेता जय जय नेता,

अपना तो काम इन्हें,निकलवाना खूब आता,

बातों से बात बने, वरना डंडों से है इनका नाता,

गुंडागर्दी है देखो,केवल इनका पेशा,

जय नेता जय नेता जय जय नेता,

नेता की बातें तो, केवल नेता ही जानें

नौकरी न मिले तो, नेता ही बने,

क्योंकि नेता के आगे, कोई नहीं टिकता,

जय नेता जय नेता जय जय नेता.

1 comment: