बेटियां जवान हुई आज, इस घर में
बाप कमाता रहा पिसता रहा, बस उम्र भर
फिर भी दहेज़ जुटा न सका, इस घर में
रूह कापं गयी उसकी जब सुना, की वो जली
माँ ने फिर आँसू बहाए रात तलक, इस घर में
कुछ शर्तों के साथ जब तय हुआ,रिश्ता ‘’अन्जान’’
तब बेटियाँ न रही, आज इस घर में
हमारी बेटियों की त्रासदी को बखूबी दर्शाया है आपने..अलोक जी
ReplyDeleteबधाई
हिंदी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है..मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं..अपनी कलम को अब रुकने न दीजियेगा
good alokwa... am proud of u
ReplyDeletegood going alok ...all the best
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