मैंने तुमको देखा है इस अंतर्मन में,
खुश्बू सी तुम महक रहीं हो इन धडकन में,
सावन की घटा के जैसे केश तुम्हारे,
पंखुड़ियों के जैसे तेरे अधर प्यारे,
योंवन छलक रहा है तेरे इन नयन में,
मैंने तुमको देखा है इस अंतर्मन में..
चांदनी शरमाती है देख तुम्हारी काया,
धूप में तेरा साथ मुझे लगे शीतल छाया,
तुम जैसा न फूल दूसरा कोई चमन में,
मैंने तुमको देखा है इस अंतर्मन में...
दिल पर रख कर हाथ मैं कहता हूँ तुमसे,
मर कर भी साथ निभाऊंगा कसम से,
इक बार बस आ जाओ तुम इस जीवन में,
मैंने तुमको देखा है इस अंतर्मन में......
अच्छा लिखा है..आपके के लेखन में सादगी के साथ साथ भावना है..शब्द दिल तक पहुँचते हैं
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