आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Wednesday, August 25, 2010

अनोखी परीक्षा

एक युवक हर जगह से, हाताश-निराश,

पहुंचा अपने गुरूजी के पास,

बोला- गुरूजी आपसे मैंने व्यर्थ ही शिक्षा पायी,

आपकी बताई शिक्षा कहीं काम न आयी,

अब कोई नया सबक सिखाओं,

वरना टूयसंस् के सारे रुपये वापस लाओं,

गुरूजी बोले- चिन्ता मत कर,

कुछ नहीं हुआ तो मजनुगिरी कर,

आजकल इसमे बड़ा फायदा है,

क्योंकि इसका भी एक कायदा है,

रोजाना एक अमीर लड़की को छेडो,

उसके पीछे हाथ धो के पडो,

फंस गई तो बड़ा मज़ा आएगा,

दोनों समय का खाना पीना मुफ्त में पायेगा,

युवक बोला- परन्तु गुरूजी अगर नहीं फंसी तो क्या होगा,

गुरूजी बोले- टांग तू अपनी पहले लगायेगा,

अरे गधे! नहीं पटी तो भूखें सोयेगा,

तेरी इसी आदत से तू आज तक कुछ नहीं कर पाया,

फ़ालतू का ब्लेम मुझ पर लगाया,

और हाँ, एक बात का खास ख़याल रखना,

पकडे जाओ तो उसे तुरंत बहन बनाना,

वरना बच्चू, इतना मारे जाओगे,

की इस पेशे से तो उखडोंगे ही,

दुनिया से भी चले जाओगे,

युवक को बात आ गई समझ में,

पहुंचा वो सीधे रस्ते पे,

और एक लड़की को छेड़ने में कामयाब हो गया,

धीरे धीरे इस शिक्षा में पारंगत हो गया,

पर एक दिन गुरूजी ने,

उस युवक की लेनी चाही परीक्षा,

गुरूजी बोले- बता तेरी क्या है इच्छा,

युवक बोला- गुरूजी मैं सदैव तत्पर हूँ,

तथा अपनी पूर्ण तैयारी पर हूँ,

गुरूजी बोले- तो जा आगे बढ़ और उस लड़की को छेड के दिखा,

और मेरे द्वारा सिखायी गई शिक्षा में सफल हो जा,

युवक ने जाती हुई उस लड़की छेड दिया,

लड़की ने उसका हाथ पकड़ा, और दों-तीन जड़ दिया,

लड़की के करारे झापड़ से,

युवक का सिर भन्ना गया,

वो तो पूरे सकते में आ गया,

गाल को सहलाते हुए वो बोला-

बहन जी माफ़ किजियेंगा, मैंने छेडने के उदेश्य से,

आपको नहीं छेडा था ,

मैं तो केवल अपनी परीक्षा दे रहा था,

मुझसे मेरे गुरूजी ने कहा था कि,

अगर मजनुगिरी में, तुम कभी भी पकडे जाओ,

तब तुम ये नुख्सा आजमाओ,

जिस लड़की को छेडो उसे तुरंत अपनी बहन बनाओ,

अत: बहन जी मैं इस क्षेत्र का कच्चा खिलाड़ी हूँ,

बहुत ही अनाड़ी हूँ,

परन्तु मेरे गुरूजी आज भी, इस क्षेत्र में जमे हुए हैं,

और उधर देखिये, आगे जा रहीं महिला को छेड़ने में लगे हुए हैं.

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