आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Tuesday, June 4, 2024

गज़ल

जिंदगी को कुछ इस तरह बेहतर बनाया मैंने

सभी को दिया पर किसी से न कुछ पाया मैंने


कोशिशें बदस्तूर जारी रक्खी ता उम्र अपनी
हर उलझनों को धीरे धीरे से सुलझाया मैंने

तुम कहते हो की सब कुछ हमें यूहीं मिल गया
हर मशक्कत के छिपे छालों को छुपाया मैंने

मंजिलो पर होती है हमेशा से मेरी नजर
मील के उन पत्थरों को न कभी अपनाया मैंने

जलते बुझते रहते हैं जो ये मुहब्बत के चराग
ये आफ़त हम पे न गिरे इसलिए दिल न लगाया मैंने

रिश्तों में आई कड़वाहट से मन भर गया अब
ये बात परे रख हर रिश्तों को दिल से निभाया मैंने

वो टूट के जब बिखरे तो मौत के आगोश में थे
मैं भी कई बार टूटा पर जिंदगी को गले लगाया मैंने

कितनी बेमुरव्वत बेरहम है दुनिया की हकीक़त दोस्तों
इसलिए पहले से ही हर जख्म पर मरहम लगाया मैंने

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