जिंदगी को कुछ इस तरह बेहतर बनाया मैंने
सभी को दिया पर किसी से न कुछ पाया मैंने
कोशिशें बदस्तूर जारी रक्खी ता उम्र अपनी
हर उलझनों को धीरे धीरे से सुलझाया मैंने
तुम कहते हो की सब कुछ हमें यूहीं मिल गया
हर मशक्कत के छिपे छालों को छुपाया मैंने
मंजिलो पर होती है हमेशा से मेरी नजर
मील के उन पत्थरों को न कभी अपनाया मैंने
जलते बुझते रहते हैं जो ये मुहब्बत के चराग
ये आफ़त हम पे न गिरे इसलिए दिल न लगाया मैंने
रिश्तों में आई कड़वाहट से मन भर गया अब
ये बात परे रख हर रिश्तों को दिल से निभाया मैंने
वो टूट के जब बिखरे तो मौत के आगोश में थे
मैं भी कई बार टूटा पर जिंदगी को गले लगाया मैंने
कितनी बेमुरव्वत बेरहम है दुनिया की हकीक़त दोस्तों
इसलिए पहले से ही हर जख्म पर मरहम लगाया मैंने
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