अब आज समय वो आ ही गया,
जब चाँद पे रखा हमने कदम
दुनिया स्तब्ध है हैरत में,
दुनिया स्तब्ध है हैरत में,
कि कैसै पहुँचे चाँद पे हम
जब चाँद के दक्किन ध्रुव को,
जब चाँद के दक्किन ध्रुव को,
सब एक पहेली समझे थे
कैसे पहुँचेगे उस सतह पर,
कैसे पहुँचेगे उस सतह पर,
सब अपनी कोशिश में लगे थे
हमारी विफलता पे हसँने वालो,
हमारी विफलता पे हसँने वालो,
देखो ये भी कर दिखलाया
जो न पहुँचा कोई वहाँ,
जो न पहुँचा कोई वहाँ,
उस जहां पे तिरंगा फहराया
आध्यात्म मे हम हैं विश्व गुरू,
आध्यात्म मे हम हैं विश्व गुरू,
अब विज्ञान की बातें करते हैं
चाँद को तो बस छुआ है,
चाँद को तो बस छुआ है,
अब सूरज की तरफ रूख करते हैं
जो देश हमे नीचा देखें,
जो देश हमे नीचा देखें,
उनको मेरा है बस ये कहना
ना कोई ऊँचा है ना कोई नीचा,
ना कोई ऊँचा है ना कोई नीचा,
है साथ में लेके सबको बढ़ना
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