चार दीवारों से नहीं कोई, परिवार बनता हैं
जब रिश्ते इसमें बसते हैं, तब परिवार बनता हैं
हम भूल जातें हैं और, यह अंतर नहीं दिखता हैं
भाई बहन लड़ते हैं, फिर भी उनमें प्यार दिखता हैं
जब सारा दिन थक कर, माँ चूर हो जाती हैं
परिवार की खुशी के लिए, अपनी खुशी से दूर हो जाती हैं
त्याग करुणा स्नेह का जब, ममत्व बरसता हैं
तब रिश्ते अपने लगते हैं, और परिवार बनता हैं
उर्जा का स्रोत पिता, सबका पालन पोषण करता हैं
परिवार की एकता के लिए, कड़ा अनुशासन रखता हैं
कठोर दिल का हैं, पर बच्चों की तरह हँसता हैं
भाई बहन माँ बाप जहाँ हो, वहीँ परिवार बसता हैं
सच्ची और आत्मिक पंक्तियाँ...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना है
ReplyDelete