आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

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Sunday, August 31, 2025

गजल- दास्ताने मोहब्बत

 

उनसे क्या मिले कि हम पहचान से गए,

जो भी रुतबा था हम उसकी शान से गए।


इश्क़ का ख़ुमार कुछ इस क़दर चला,

क़िस्तों में कटी ज़िंदगी और हम जान से गए।

ख़्वाबों की रवानी थी कि निगाहों का था नशा,

ज़िक्र आया उनका लब पे, तो हम अरमान से गए।

नादाँ दिल को समझाते रहे दुनिया जहाँ के लिए,

वो जब भी मुस्कुराए तो हम ईमान से गए।

उस सफ़र-ए-इश्क़ में जो रास्ते मिले,

मंज़िल भी मिली न और हम थकान से गए।

‘अंजान’ दास्ताँ है यह मोहब्बत की पुरानी,

जिनसे उम्मीद थी, हम उसी गुमान से गए।

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