मैं भटक सा रहा हूँ बेखबर राहों में,
मिरी मंज़िल तेरे आने की राह देखती है।
चाँदनी से सजी रात यूहीं ख़ामोश सी है,
तेरी यादें मेरी साँसों की पनाह देखती है।
अंधेरे से साये हर कदम साथ चलते हैं,
एक उम्मीद दूर रोशन निगाह देखती है।
दिल के वीराने में तूफ़ानों का है डेरा लगा,
अब मोहब्बत तेरे होने की गवाह देखती है।
तेरे नाम की ये रोशनी जो जलती है दिल में,
ये दीवानगी भी तुझको अब खुदा देखती है।
तेरी खुशबू से महकते हैं सब ख्वाब मेरे,
तेरी धड़कने मेरी रुबाई की सदा देखती है।
तन्हा है तेरे बिना पूरा मेरा ये कारवाँ,
"अंजान" सी कशिश अब तेरी चाह देखती है