आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Friday, March 22, 2024

मूल मंत्र

 

धूप में या चाँदनी में, लाभ में या हानि में

कर्मठी रहो सदा, मधुर अपनी वाणी में


पाप पुण्य के फेर में, सत्य असत्य के ढेर में

निर्जीव तुम न हो कभी, देर या सवेर में


प्रात में या रात में, संग में न साथ में

निडर बन डटे रहो, घात या प्रतिघात में


आस में या निराश में, जीवन के हर इक श्वास मे

सिह सा दहाड दो, धरा से आकाश में


जीत में या हार में, जन्म मरन के सार मे

विचलित होना है नहीं, किसी भी मझधार में


जो हुआ अच्छा हुआ, ये ना कोई मात है

दिन निखर आएंगे, कट जाएगी जब रात है


जिस कर्मक्षेत्र में है तू खड़ा, अवसर ही अवसर है बड़ा 

बस मार्ग में अडे रहो, संकटो से लड़ते रहो

जीवन का यही मूल मंत्र है, 

ये तो बस आदि है, इसका न कोई अंत है


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