आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Saturday, May 11, 2024

गज़ल

 कुछ इस तरह नजदीकियाँ बढाई हमने

गम जमा किया और खुशियाँ लुटाई हमने

कमबख्त दिल हमसे कुछ यूँ खेल गया
उनकी सुनते रहे अपनी न सुनाई हमने

इश्क परवान चढ़े मेरा यही ख्वाहिश थी
बस वो रहे जवाॅ इसलिए उम्र घटाई हमने

अब तो मिलना भी उनसे ख्वाबों तक रहा
इसी बाबत जवानी मे नींद बिताई हमने

मरता जा रहा था इश्क मेरा कहीं धीरे धीरे
वो रहे आबाद इसलिए बरबादी कराई हमने

बिकता रहा बाजारों में इक शय की तरह
मोल उनका रहे इसलिए कीमत गिराई हमने

इश्क सबका मुकम्मल हो जाए जरूरी तो नहीं
उनका हो जाए यही सोच बदनामी कराई हमने