कुछ इस तरह नजदीकियाँ बढाई हमने
गम जमा किया और खुशियाँ लुटाई हमनेकमबख्त दिल हमसे कुछ यूँ खेल गया
उनकी सुनते रहे अपनी न सुनाई हमने
इश्क परवान चढ़े मेरा यही ख्वाहिश थी
बस वो रहे जवाॅ इसलिए उम्र घटाई हमने
अब तो मिलना भी उनसे ख्वाबों तक रहा
इसी बाबत जवानी मे नींद बिताई हमने
मरता जा रहा था इश्क मेरा कहीं धीरे धीरे
वो रहे आबाद इसलिए बरबादी कराई हमने
बिकता रहा बाजारों में इक शय की तरह
मोल उनका रहे इसलिए कीमत गिराई हमने
इश्क सबका मुकम्मल हो जाए जरूरी तो नहीं
उनका हो जाए यही सोच बदनामी कराई हमने