आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Saturday, August 10, 2013

नन्ही कली अश्विका के लिए

दिल में जैसे कोई उतर सा आया हैं
आज मेरे घर इक नया मेहमा आया हैं
कब से था इंतेज़ार इस पल का मुझे
वो हसीं इक नई बहार लाया हैं
उसके रोने में भी उसकी छिपी हैं हँसी
उसकी किलकारियों का इक खुमार आया हैं
खुशियाँ अटखेलियाँ करतीं आगंन में अब
वो “नेह्लोक” में इक नई झंकार लाया हैं
दिल में जैसे कोई उतर सा आया हैं
आज मेरे घर इक नया मेहमा आया हैं
दर्द जितना भी था अब भूल गए हम
साथ अपने वो प्यार बेशुमार लाया हैं
बस उस ईश्वर से अब कोई चाह ना रही
“अश्विका” के रूप में नया संसार पाया हैं
दिल में जैसे कोई उतर सा आया हैं
आज मेरे घर इक नया मेहमा आया हैं