आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Monday, April 4, 2011

लंका दहन

धोनी के धुरंधरों को मेरी तरफ से ये एक सप्रेम भेंट......

गंभीर विशाल विकराल रूप धारण कर,

धोनी ने आते ही मार काट मचाई है,

पहले परेरा कटे फिर कुलसेकरा मरे,

बाद में दिलशान की भी मुंडी उड़ाई है,

लंका को दफनाएँगे, वर्ल्ड कप लायेंगे,

लग रहा कसम इन दोनों ने खायी है,

कहत ‘’अन्जान’’ कवि, मुरली कैसे बच निकला

फिर धोनी ने मुरली की भी, मुरली बजाई है,


ओर-पोर, छोर-छोर मारे ये चहुँ ओर

कौन कह सकता है ये गंभीर धोनी हैं,

एक मारे square कट दूसरा मारे फटाफट,

लगता है जीत अब भारत की ही होनी है,

सोये हुए शेर देखो अचानक आज जाग उठे,

युवी ने भी देखो यार मस्त बाल टांगी है,

कहत ‘’अन्जान’’ कवि मुंबई के वानखेड़े में,

व्याकुल से लंकाई इधर उधर भागी है,


थरंगा को फोड दिया महेला को छोड़ दिया,

संगकारा-दिलशान की भी सीटी बाजाई है,

पहले ज़हीर ने ओर फिर हरभजन ने,

बाद में मुनाफ ने लंका में आग लगाई है,

लंका अब सपने में भी भारत से है डरे,

उनको तो पूरी टीम, हनुमान नज़र आई है,

कहत ‘’अन्जान’’ कवि सचिन के प्रताप से,

पूरी ही टीम ने मिलके, लंका ढहाई है....

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