आपके जानिब.....

आपके जानिब...आप सभी को अपनी रचनाओं के माध्यम से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास हैं, जहाँ हर एक रचना में आप अपने आपको जुड़ा हुआ पायेंगे.. गीत ,गज़ल, व्यंग, हास्य आदि से जीवन के उन सभी पहलुओं को छुने की एक कोशिश हैं जो हम-आप कहीं पीछे छोड़ आयें हैं और कारण केवल एक हैं ---व्यस्तता

ताजगी, गहराई, विविधता, भावनाओं की इमानदारी और जिंदगी में नए भावों की तलाश हैं आपके जानिब..

Wednesday, August 25, 2010

ग़ज़ल

जिन्दंगी जब भी मुझे उनके करीब लाती हैं,

हर इक शाम मुझे और हसीं नज़र आती हैं,

हालात् अपने पहले तो ऐसे न थे कभी,

हमें प्यार आता है वो प्यार से घबराती हैं,

जिन्दंगी जब भी मुझे उनके करीब लाती हैं,

हर इक शाम मुझे और हसीं नज़र आती हैं,

दिल तो पहले भी धड़कता था मेरा उनके लिये

अब तो सांसों में भी बस उनकी महक आती हैं,

जिन्दंगी जब भी मुझे उनके करीब लाती हैं,

हर इक शाम मुझे और हसीं नज़र आती हैं,

दिल चाह कर भी उनसे कुछ कह न पाये,

उनकी हालत भी मेरे जैसी ही नज़र आती हैं,

जिन्दंगी जब भी मुझे उनके करीब लाती हैं,

हर इक शाम मुझे और हसीं नज़र आती हैं,

7 comments:

  1. कविता अच्छी लगी धन्यवाद्|

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  3. अच्छी रचना. ब्लॉग जगत में स्वागत है.

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  4. वाह वाह -बहुत खूब

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  5. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  6. संगीता जी, राकेशजी,राजीवजी,अजयजी,आनंदजी और Patalijee को बहुत बहुत धन्यवाद..

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  7. काफी रुमानियत भरी ग़ज़ल है..इसी तरह लिखते जाइये अलोक जी

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